The Train... beings death 3
ट्रेन झटका खाते हुए रुक गई थी... बाहर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था.. पर अंधेरा भी अंधेरे जैसा नहीं था.. वह एक धुंधला सा.. कोहरे भरा माहौल था.. जिसमें दृश्यता तो थी.. पर इतनी कम... मानो आसपास किसी ने बहुत ही बड़े क्षेत्र में आग जलाकर पानी उबालने रख दिया हो। पानी की भाप.. लकड़ियां जलने का धुआं.. सब कुछ मिलाजुला था।
ट्रेन के रुकते ही.. खिड़कियां, दरवाजे हर तरफ से वह धुंआ ट्रेन में घुसने लगा। जैसे बहुत लंबे इंतजार के बाद कोई ट्रेन स्टेशन पर पहुंचे.. तो बिना आरक्षक सीट वाले लोग हर तरफ से चढ़कर सीट रोकने की फिराक में हो। धुंआ जब पूरी तरह से ट्रेन में भर गया तो उसने एक आकार लेना शुरू कर दिया।
धुएँ के कारण वैसे ही चिंकी की हालत बिगड़ गई थी। उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी.. और प्रिया का चेहरा एक अनजानी आशंका से ग्रस्त हो चला था। जैसे-जैसे धुआं अंदर बढ़ रहा था वैसे वैसे प्रिया को अपने शरीर में विचित्र से परिवर्तन महसूस हो रहे थे।
प्रिया ने जल्दबाजी में चिंकी से कहा, "चिंकी तुम घबराना मत। यह धुआं थोड़ी देर में ही छंट जाएगा.. पर इस धुएँ का असर मुझ पर भी होने लगा है। और वह असर पता नहीं बुरा होगा या अच्छा... पर तुम थोड़ा सावधान रहना.. और यहां से कहीं मत हिलना।"
ऐसा कहते हुए प्रिया चिंकी से धीरे-धीरे दूर जाने लगी। उस धुएं के कारण घबरा तो चिंकी भी गई थी। पर उसे अच्छे से मालूम था कि यह समय घबराहट का नहीं बल्कि थोड़ी हिम्मत से काम लेने का था। क्योंकि इसी हिम्मत के कारण वह अपने परिवार से दोबारा मिल सकती थी। थोड़े भी डर के कारण नकारात्मक शक्तियों को चिंकी पर काबू करने का रास्ता मिल जाता। चिंकी ने मां का ध्यान किया और हाथ जोड़कर वही उस सीट के नीचे की तरफ सरक कर बैठ गई।
थोड़ी दूर पर प्रिया भी खड़ी थी और उसके पास ही वह धुआं आकार ले रहा था। धीरे-धीरे जब उस धुएँ ने एक निश्चित आकार ले लिया.. तब वह एक बहुत बड़े डायनासोर जैसा दिखाई देने लगा था। उसका मुंह गाय के समान था.. पर ना उस पर आंखें थी, ना ही कान.. ना ही नाक.. केवल मुंह था.. जो उसने खोल रखा था। पूरे मुंह में केवल दांत ही थे.. बड़े-बड़े पैने चाकू जैसे। अगर किसी को गलती से भी वह दांत छू लें.. तो उसके शरीर से मांस भी बाहर निकाल लाए। एक बड़ी सी लप-लपाती हरी-काली जीभ.. जो इतनी लंबी थी की दो मीटर दूर रखी वस्तु को भी वहीं से पकड़ कर खींच ले। शरीर डायनासोर के जैसा ही था.. हरे रंग का छोटा सा पर इतना तो बड़ा था कि ट्रेन की छत को छू रहा था.. उसके छह हाथ और पैर थे।
जब उसने पूरी तरह से आकार ले लिया.. तब वह धीरे-धीरे पहले प्रिया की तरफ बढ़ा। उसने अपनी जीभ से प्रिया को छूकर ऐसे देखा.. जैसे वह आत्मा नहीं कोई जीवित प्राणी हो। उसके छूने से प्रिया को बहुत ही असहज महसूस हो रहा था उसे यह बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि जिस तरह से वह जीव प्रिया को छू रहा था.. वह कुछ भी सामान्य था। उसके जीभ की छुअन बहुत ही अजीब, बदबूदार और जलाने वाली थी। अगर प्रिया आत्मा ना होकर कोई जिवित मनुष्य होती तो.. उसकी छुअन से ही जलकर राख हो गई होती।
प्रिया ने भी उस तरह के जीव को उस ट्रेन में पहली बार ही देखा था। जैसे ही वह जीव चिंकी की तरफ बढ़ा प्रिया झटके से चिंकी के सामने जाकर खड़ी हो गई। वह जीव.. उसे वैसे भी दिखाई तो देता नहीं था। वह केवल अपनी जीभ के माध्यम से ही देखता, सुनता और पहचानता था। जैसे ही उसने चिंकी को स्पर्श करके उसके बारे में जानना चाहा... ऐन वक्त पर प्रिया उसके सामने आकर खड़ी हो गई और उस जीव की जीभ एक बार फिर प्रिया से ही टकरा गई। प्रिया के शरीर से के टकराते ही उस जीव ने एक विचित्र आवाज में कुछ चिंघाड़ना शुरू कर दिया। जैसे वो किसी को संकेत देकर वहां बुला रहा हो।
चिंकी को इतना तो समझ में आ गया था कि उस विचित्र जीव को चिंकी के बारे में पता चल गया था.. पर वह यह नहीं जान पाया था कि चिंकी थी कहां..??
उस प्राणी ने अपनी जीभ चारों तरफ घुमा कर चिंकी के बारे में पता करना शुरू कर दिया... पर उसे चिंकी की सही स्थिति नहीं पता चल रही थी। क्योंकि चिंकी सीट के नीचे कोने में चिपक कर बैठी हुई थी और उसके बगल वाली दीवार पर ही महाकाली की बड़ी सी तस्वीर चिपक रही थी शायद उसी का प्रभाव था कि वह जीव चिंकी को ढूंढ नहीं पा रहा था जल्दी उसने हार मान ली और एक तरफ को चल दिया।
कुछ ही देर बाद वहां उसी हरे प्राणी के जैसे दो और जीव वहां आ गए पर वह भी कुछ कर नहीं पा रहे थे। चिंकी और प्रिया की हालत डर के कारण बहुत ही ज्यादा बिगड़ गई थी। दोनों की दोनों बच्चियां डर के कारण कांप रही थी.. और उनके कंपन को वो तीनों हरे प्राणी महसूस कर पा रहे थे। उन्होंने वही डेरा जमा दिया था.. जरा भी हरकत हो तो वह सामने पड़े अपने भोजन को चट कर जाएं। वह आसान भोजन चिंकी थी..!!
कुछ देर तक तो वह प्राणी चुपचाप बैठे रहे पर कुछ देर बाद में ही उन्होंने एक विचित्र आवाज निकालना शुरू कर दिया.. जैसे वह आपस में ही बात कर रहे थे।
चिंकी ने जब उनकी आवाज सुनी तो चिंकी के कानों में तेज दर्द होना शुरू हो गया... चिंकी ने अपने कान तेजी से बंद करके अपना सर घुटनों में दबा दिया। जिसके कारण चींकी की आंखे और कान बंद हो गए सहसा चिंकी को लगा कि कुछ लोग आपस में बातें कर रहे थे.. चिंकी को उनके अस्पष्ट शब्द सुनाई देने लगे थे।
वह लोग आपस में कुछ बातें कर रहे थे। चिंकी को लगा कि शायद उसका वहम था.. जो उसे इस तरह की आवाजें सुनाई दे रही थी.. पर गौर करने पर चिंकी को विश्वास हो गया कि वह आवाजें वहम नही सच थी। वो आवाजें उन सामने बैठे तीन प्राणियों की ही थी। वह आपस में किसी अनजान खतरे के बारे में बात कर रहे थे।
पहले प्राणी ने कहा, "तुम्हें पता है.. हम लोग इस ट्रेन में इतने सालों से आ जा रहे हैं.. पर मैंने सुना है कि कोई नया संकट आने वाला है.. जो हम से भी भयानक है। उसे पृथ्वी पर किसी विशेष उद्देश्य के लिए जाना है। हम तो अब तक केवल पांच मिनट अपने भूख मिटाने के लिए जाते थे।"
दूसरे ने कहा, "तुमने बिल्कुल सही कहा.. ऐसा मैंने भी सुना था। पर अगर इस गाड़ी में हमें वह पैरों पर चलने वाले जीव नहीं दिखे होते और हमने उनका स्वाद नहीं चखा होता तो.. हमें वहां जाने की आवश्यकता ही नहीं थी।"
तीसरे ने कहा, "बात तो तुम दोनों सही रहे हो.. पर तुम लोगों ने कभी गौर किया है.. जब से हम उन प्राणियों को खाने लगे हैं.. तब से हमारी शक्तियों में अद्भुत वृद्धि हुई है। हम शीघ्र ही अपना आकार और अपनी पहचान परिवर्तित कर पा रहे हैं। दूसरी बात और सबसे जरूरी बात के उन जीवों.. जिन्हें मानव कहते हैं.. उनके कारण हमारे शरीर में कुछ बदलाव हुए हैं जिनके कारण हमारी उम्र लंबी हो गई है।"
तभी पहले प्राणी ने कहना शुरू किया, "मैंने यहां भी मानव की उपस्थिति अनुभव की है.. यहां पर भी कोई मनुष्य है। इसलिए ही तो मैंने तुम्हें यहां बुलाया है।"
चिंकी ने जब यह सुना तो उसकी सांसे एक पल के लिए रुक ही गई। उसे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि उन्हे कैसे पता चला..?
तभी दूसरे प्राणी ने कहा, "ऐसा कैसे हो सकता है.. पहले ही भले ही तुम्हें मानव की उपस्थिति यहां अनुभव हुई हो.. पर इस ट्रेन में सभी आत्माएं ही हैं। अगर कोई मनुष्य होता तो.. अब तक वो आत्मायें उसे खत्म कर चुकी होती।"
तीसरे ने भी उसकी हां में हां मिलाई। फिर वह आपस में एक अलग प्रकार के जीव की बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद ट्रेन एक निर्जन से स्थान पर रुकी वहां पर बहुत ही ज्यादा गर्मी थी। ऐसा लग रहा था.. जैसे सूरज ही उतर आया हो।
चिंकी भी गर्मी के कारण हाल बेहाल हो रही थी.. पर वहां से हिल नहीं सकती थी। जैसे ही ट्रेन उस निर्जन, गर्म स्थान पर रुकी सामने बैठे तीनों प्राणियों ने एक विचित्र स्वर में आवाजें निकालना शुरू कर दिया।
आपस में कहने लगे कि "हमें जिसका डर था.. वह आने वाला है।"
वहां बैठे तीसरे प्राणी ने कहा, "तुमने बिलकुल सच कहा था.. यह जगह सच में बहुत ज्यादा खतरनाक है। पर इससे पहले तो यह ट्रेन.. यहां कभी नहीं रुकी।"
तभी पहले प्राणी ने कहा, "कोई ऐसा कारण है.. जिसके लिए ही वह जीव.. आज ही इस ट्रेन को अपने यहां रोक पाया है..!"
हैरान-परेशान से तीनों एक दूसरे को देख रहे थे। उन तीनों को हैरान परेशान देखकर चिंकी और प्रिया भी एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था।
धीरे धीरे कुछ धमऽऽ धमऽऽ जैसी आवाजें आने लगी। एक भारी भरकम सा प्राणी पास आता हुआ महसूस हुआ।
कुछ ही देर में जैसे ही वह प्राणी पास आया.. तो तीनों डायनासोर जैसे दिखने वाले जीव एक दूसरे में समा गए और धुआं बन कर वहां से गायब हो गए।
प्रिया और चिंकी अब इस नई मुसीबत के बारे में चिंता करने लगे थे।
Shrishti pandey
05-Apr-2022 11:07 AM
Very nice
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Punam verma
26-Mar-2022 08:53 AM
Babare ek se ek khatraa aate hi ja raha hai. Bechari bachchi
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
21-Mar-2022 03:46 PM
पृथ्वी पर एक नया अनजाना खतरा!!😳😳 कहना पड़ेगा चिंकी इतनी सी उम्र में भी बहुत बहादुर है।👌🏻👌🏻 और प्रिया ने बखूबी बार-बार उसके सामने आकर उन जीवो से उसे बचा लिया। एक आत्मा होने k बावजूद प्रिया को उन जीवो से तकलीफ हुई, शयद इसका कारन उसकी एक अच्छी आत्मा होना है।🤔 अब देखते है पृथ्वी पर यह कौन-सा खतरा है और इससे धरती कैसे बचेगी। अलग अलग स्टेशन पर नया नया रोमांच आपकी कल्पना बहुत ऊँची उड़ान भरती है।👏👏
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Aalhadini
21-Mar-2022 10:10 PM
शुक्रिया आपके इतने प्रेम के लिए 🙏
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